मैं भी चली नये सफर की ओर, नये डगर की ओर। था जो ख्या़लों में,हैं इरादो में अब, थी बीच मझधार में जब, नहीं था साथ किसी का तब। हैं इरादा यही चलना है अकेले ं अ ब - प्रशांत
I like deep thinkers. I don't like normal conversation with people. Works as an artist for Spartan 7